इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में लिखे महाराणा प्रताप के बारे में आज भला कौन नहीं जानता होगा| पराक्रमी, शूरवीर और चतुर होने के साथ-साथ वह दयालु इंसान भी थे| महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही मन और शरीर में चेतना की एक लहर दौड़ने लगती है| आज हम आपको महाराणा प्रताप से जुड़े कुछ तथ्य के बारे में बताने जा रहे हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे;-
- उम्मीद है कि आप महाराणा प्रताप की सिर्फ दो पत्नियां महारानी अजब्दे और फूल कँवर के बारे में ही जानते होंगे लेकिन असल में महाराणा प्रताप की 11 पत्नियां और 22 बच्चे थे जिसमें से 17 बेटे और पांच बेटियां थी|
- आजकल हम देखते हैं कि 50 किलो वजन उठाना भी बहुत भारी बात है| लेकिन महाराणा प्रताप युद्ध के दौरान 360 किलो का भार अपने साथ लेकर चलते थे, जिसमें से 80 किलो का उनका भाला, 208 किलो की दो तलवारें और 72 किलो का कवच था| इसके साथ-साथ उनका खुद का वजन भी 110 किलो था|
- महाराणा प्रताप अपने पिता उदय सिंह की 32 संतानों में सबसे बड़ी संतान थे|
- महाराणा प्रताप की छोटी मां यानी कि धीरभाई अपने पुत्र कुंवर जगमाल को चित्तौड़ का महाराजा बनाना चाहती थी, लेकिन मंत्री पद की सभा ने कुंवर जगमाल को इस काबिल नहीं समझा कि वह राजा का पदभार संभाल सके और उन्होंने कुंवर प्रताप को राज्य की कमान सौंपी|
- हल्दीघाटी के युद्ध के बारे में तो आप सभी जानते हो| ऐसा कहां जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने बहलोल खान के घोड़े सहित तलवार से दो टुकड़े कर दिए थे|
- हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के हुबहू दिखने वाले झालामान सिंह ने महाराणा प्रताप को युद्ध छोड़कर जाने की सलाह दी और खुद कवच पहनकर महाराणा प्रताप का भेष धारण कर युद्ध में पहुंच गए| हालांकि इस दौरान उनकी मृत्यु हुई और अकबर ने यह सोचा कि उन्होंने महाराणा प्रताप को हरा दिया है जबकि असल में महाराणा प्रताप पहले ही बच निकले थे| इसके बाद महाराणा प्रताप ने युद्ध लड़ कर चित्तौड़ को वापस जीता, हालांकि वह चित्तौड़ के किले को वापस नहीं जीत पाए थे|
- उस समय के शासक रहे अकबर ने लगभग राजपूतों के सारे राज्यों को अपने अधीन कर लिया था लेकिन वह अपनी पूरी जिंदगी में महाराणा प्रताप को कभी भी अपना बंदी नहीं बना पाए|
- महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी का युद्ध हारने के बाद उसे दोबारा जीतने तक पत्तियों में भोजन ग्रहण करने और जमीन पर सोने की प्रतिज्ञा ली|
- महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के बारे में तो आप सभी जानते होंगे लेकिन उनके प्रिय हाथी रामप्रसाद की देशभक्ति भी अद्भुत है| युद्ध के दौरान महाराणा प्रताप के हाथी रामप्रसाद ने 13 हाथियों की हत्या की थी| इसे सुनकर अकबर बहुत ही क्रोधित हुआ और उसने 7 हाथियों का चक्रव्यू बनाकर राम प्रसाद को बंदी बना लिया| इसके बाद अकबर उसे अपने राज्य ले आया और उसका नाम पीरप्रसाद रखा| लेकिन यह हाथी इतना देशभक्त था कि उसने मुगलों के द्वारा दिए गए भोजन और पानी का एक दाना भी ग्रहण नहीं किया| अंततः 18 दिन तक भूखे रहने के बावजूद रामप्रसाद की मृत्यु हो गई| इस घटना पर अकबर ने कहा था कि हम जिस महाराणा प्रताप के हाथी को नहीं झुका पाए तो उस महाराणा प्रताप को कैसे झुका सकते हैं|
- एक बार महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह ने अकबर के सेनापति अब्दुल रहीम खानखाना को युद्ध में हरा कर उनकी पत्नियां भेट के स्वरुप अपने राज्य ले आए थे| महाराणा प्रताप को जब यह बात पता चली तो उन्होंने तुरंत ही आदरपूर्वक सारी स्त्रियों को वापस उनके राज्य भेजने का निर्णय सुनाया| इस पर अब्दुल रहीम खानखाना महाराणा प्रताप के सामने नतमस्तक हो गए और उन्होंने उनके खिलाफ कभी हथियार ना उठाने की घोषणा की|
- महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कई युद्ध लड़े और जीते भी और वह कभी युद्ध में दुश्मन के हाथ नहीं आए| हालांकि अंतत उनकी मृत्यु एक दुर्घटना में हो गई| अकबर को जब यह समाचार मिला तो, अपनी पूरी जिंदगी में एक भी बार ना रोने वाला अकबर भी, महाराणा प्रताप की मृत्यु पर भावुक हो गया था|
तो ऐसे थे हमारे महाराणा प्रताप| ऐसी ही अन्य रोचक और उत्साह पूर्ण कहानी पढ़ने के लिए आज ही jaihindutva.com को फॉलो करें|
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