चित्तोडगढ़ किले का इतिहास- रोमाँच और बलिदान से भरी गाथा

राजस्थान का चित्तौड़ शहर चित्तौड़गढ़ किले के लिए हमेशा से मशहूर रहा है | यह किला शौर्य, बलिदान और वैभव का प्रतीक है| यह किला हमारे देश के कई वीर और वीरांगनाओं की रोमांचक और वीरतापूर्ण कहानियों के लिए मशहूर है| यह किला पर्यटकों के लिए अत्यधिक आकर्षण का केंद्र है, तो आइए आज हम आपको इस किले से जुड़े इतिहास के बारे में बताते हैं|

Chittorgarh Fort

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान राज्य के शहर चित्तोड़ में स्थित है| वर्तमान की बात करें तो अजमेर से खंडवा जाने वाले रेल मार्ग पर पड़ने वाले चित्तौड़गढ़ जंक्शन से उत्तर-पूर्व दिशा की ओर लगभग 2 किलोमीटर दूर यह किला पहाड़ी आर नजर आता है| इस किले को देखकर ही आँखों में जोश की उत्पत्ति होती है|

चित्तौड़गढ़ शहर के इतिहास के बारे में लोगों का कहना है कि महाभारत काल के समय पांडव पुत्र भीम ने यहां पर अमर शिक्षा के लिए अपना आवागमन किया था|

यह किला शुरुआत से ही मौर्य और राजपूत शासकों के अधीन रहा है| 

अगर चित्तौड़ किले की बात की जाए तो ऐसा कहा जाता है कि यह किला मौर्य शासक चित्रांगद मौर्य ने बनवाया था| और इस किले का निर्माण इसी मौर्य शासक के नाम पर हुआ था| 

इतिहासकारों का मानना है कि यह किला सूर्यवंशी राजपूत राजा बप्पा रावल ने सोलंकी राजकुमारी से विवाह करके दहेज में प्राप्त किया था और इसे मेवाड़ की राजधानी बनाया था| यह किला भारत के सबसे सुंदर किलो में से एक है और यह पहाड़ी पर स्थित है| 

सूर्यवंशी राजपूतों ने इस किले पर लगभग 8वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक राज्य किया| हालांकि इस दौरान इस किले ने कई भयंकर लड़ाइयां देखी और इनमें से प्रचलित तीन लड़ाइयां आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं| 

इस किले ने सबसे पहली भयंकर लड़ाई सन 1303 में देखी, जब अलाउद्दीन खिलजी ने महाराणा रतन सिंह सिंह को धोखे से हराकर यह किला अपने कब्जे में लिया था| ऐसा कहा जाता है कि महाराणा रतन सिंह जी की पत्नी पद्मिनी की सुंदरता के बारे में सुनकर अलाउद्दीन खिलजी पागल हो चुका था और वह उन्हें हर हाल में जीतना चाहता था| हालाँकि अलाउद्दीन खिलजी इस किले को जीतने में कामयाब रहा लेकिन रानी पद्मिनी ने अन्य 16000 स्त्रियों के साथ इस किले के अंदर जोहर की अग्नि में प्रवेश किया और अपनी आन-बान बचाने के लिए मृत्यु का रास्ता चुना| इतिहास की यह घटना आज भी रूह कंपा देती है| 

Maharani Padmini

1534 में गुजरात के राजा बहादुर शाह जफर ने इस किले को महाराजा रंजीत सिंह को युद्ध में हराकर प्राप्त किया था|  

महाराणा प्रताप के समय पर अकबर ने इस किले पर कई बार आक्रमण किए और वह अंततः जीतने में कामयाब रहा लेकिन महाराणा प्रताप वह से भागकर बचने में कामयाब रहे थे और बाद में महाराणा प्रताप ने उदयपुर को मेवाड़ की राजधानी बनाया| 

Maharan pratap

अगर इस किले की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो यह 691 एकड़ में फैला हुआ है| साथ ही इसके अंदर 65 ऐतिहासिक इमारत है, 19 मंदिर और 20 पानी के स्रोत एवं अन्य विजय स्तंभ है| 

यह ऐतिहासिक किला हिम्मत, वीरता, राष्ट्रप्रेम और मेवाड़ के वीरो और उनकी महिलाओं और बच्चों के बलिदान का सर्वोच्च उदहारण है |

Rajput empire Flag

इसके अंदर एक विजय स्तंभ भी है जिसकी स्थापना राणा कुंभा ने की थी|  यह स्तंभ 122 मीटर ऊंचा है और यह 8 मंजिल से बना है | 

चित्तौड़गढ़ एक ऐसी वीरभूमि है, जो पूरे भारत में शौर्य, बलिदान और देशभक्ति का एक गौरवपूर्ण उदाहरण है. यहाँ पर अनगिनत राजपूत वीर अपने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने खून से नहाये है. यहाँ राजपूत महिलाएं अपने गौरव और अस्तित्व की रक्षा के लिए अपने बच्चो के साथ जौहर की अग्नि में समा गयी. इन स्वाभिमानी देशप्रेमी योद्धाओं से भरी पड़ी यह भूमि पूरे भारतवर्ष के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर रह गयी है. यहाँ का कण-कण हममें देशप्रेम की लहर पैदा करता है. यहाँ की हर एक इमारतें हमें एकता का संकेत देती हैं.

ऐसी ही अन्य इतिहास की रोचक कहानियों के लिए आज ही jaihindutva.com को फॉलो करें और इस पर लगातार विजिट करते रहे| dhanywaad |

Comments
Prashant Agarwal:
Related Post