Maharani Laxmibai · June 23, 2021

झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन से जुड़ी कुछ विचित्र बातें

झाँसी की रानी का शुरुवाती जीवन:-

अंग्रेजों की नींद उड़ाने वाली रानी लक्ष्मीबाई उत्तर भारत में स्थित मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी थीं। उनके पिता मोरोपंत तांबे बिठूर के पेशवा के दरबार में काम करते थे और उनके नाम और प्रभाव के कारण ही लक्ष्मीबाई को दूसरी औरतों की तुलना में ज्यादा आजादी दी गई। उन्होंने आत्मरक्षा, घुड़सवारी और तीरंदाजी का अध्ययन किया था और यहाँ तक कि उन्होंने दरबार में अपनी सहेलियों के साथ एक सेना भी बनाई थी। 1842 में 7 साल की लक्ष्मीबाई का विवाह झांसी के महाराजा राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ था। 

Rani Laxmibai Original Photo

शादी के बाद कुछ वर्षों तक:-

1851 में उन्होंने अपने बेटे दामोदर राव को जन्म दिया, लेकिन लगभग चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गई। बच्चे की मृत्यु के बाद झांसी के राजा और रानी ने आनंद राव को गोद लिया। ऐसा कहा जाता है कि गंगाधर अपने बेटे की मृत्यु से कभी नहीं उभर पाए और 21 नवंबर 1853 को इसी कारणवश उनका देहांत हो गया। उस समय भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी ने ब्रिटिश साम्राज्य को फैलाने के लिए झांसी के इसी दुर्भाग्य का फायदा उठाने की कोशिश की। 

1854 में अंग्रेजों ने झांसी की रानी को 60 हजार की सालाना पेंशन देने की पेशकश की और उन्हें झांसी के किले को छोड़ने का आदेश दिया गया। लेकिन वह अंग्रेजों को झाँसी की सत्ता नहीं देने के फैसले पर अड़ी रही। झाँसी की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए रानी लक्ष्मीबाई ने विद्रोह की एक सेना बनाई, जिसमें महिलाएं भी शामिल थी। इस महान काम के लिए उन्हें गुलाम गौस खान, दोस्त खान, और दीवान जवाहर जैसे बहादुर योद्धाओं का साथ मिला। युवा दामोदर राव और अपने अन्य सैनिकों के साथ रानी कालपी की ओर बढ़ी, जहाँ वह तात्या टोपे के साथ दूसरे विद्रोही दलों में शामिल हो गयी।

अंतिम पल:-

लेकिन 17 जून 1858 में ग्वालियर में फूल बाग के पास कोटा की सराय में कैप्टेन ह्यूरोज के साथ लड़ते हुए वह शहीद हो गयी और इसके ठीक 3 दिन बाद अंग्रेजों ने ग्वालियर पर कब्जा कर लिया। लड़ाई के बाद ब्रिटिश रिपोर्ट में लिखा गया था कि रानी अपनी सुंदरता, चतुराई और दृढ़ता की वजह से सभी विद्रोहियों में से सबसे खतरनाक थी। उनके पुत्र आनंद राव, जिनका नाम बाद में दामोदर राव हो गया, अंत में अपनी माँ की सहयोगियों के साथ वह वहाँ से भाग निकले।

Rani Laxmibai in war

तो दोस्तों, उम्मीद करते है कि आपको झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का इतिहास (Jhansi ki Rani Lakshmi Bai History in Hindi) यह आर्टिकल पसंद आया होगा। ऐसे ही ऐतिहासिक आर्टिकल्स पढ़ने के लिए jaihindutva.com को फॉलो करे।

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