अपने फरारी के दिनों के बारे में राणा ने जो खुलासा किया वह आश्चर्यजनक था।
राणा ने दावा किया कि अफगानिस्तान के गजनी इलाके में हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान की रखी अस्थियों के अपमान की जानकारी मिलने को लेकर वह बेहद दुखी था और उसने उसे वापस लाने की ठानी। फरारी के बाद उसने सबसे पहले रांची से फर्जी पासपोर्ट बनवाया।नेपाल,बांग्लादेश,दुबई होते हुए अफगानिस्तान पहुंचा। जान जोखिम में डालते 2005 में वह अस्थियां लेकर भारत आया। राणा ने पूरे घटनाक्रम की वीडियो भी बनाई। ताकि वह अपनी बात को प्रमाणित कर सके। बाद में राणा ने अपनी मां की मदद से गाजियाबाद के पिलखुआ में पृथ्वीराज चौहान का मंदिर बनवाया, जहां पर उनकी अस्थियां रखी गई।